आस्था

जन्माष्टमी व्रत से करोड़ों एकादशी के व्रत का फल

  • मछली शहर। अखिलब्रह्मांडनायक परमब्रह्म परमात्मा श्री कृष्ण चंद्र भगवान का जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है जिसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं। इस वर्ष इस पावन पर्व का सुखद संयोग 30 अगस्त दिन सोमवार को प्राप्त होगा। ज्योतिषाचार्य डॉ शैलेश मोदनवाल के अनुसार उक्त दिन उदया तिथि से ही अष्टमी तिथि मिलेगी जो रात 12:14 बजे तक रहेगी जबकि दिन में 6-41 के बाद रोहिणी का भी सुखद संयोग प्राप्त होगा। भगवान का जन्म अर्द्धरात्रि 12 बजे हुआ था। जन्म के समय रोहिणी युक्त अष्टमी विशेष फलदाई है। नारद पुराण के अनुसार जन्माष्टमी व्रत को करने से मनुष्य सात जन्मों के किए हुए पापों से मुक्त हो जाता है जबकि अन्य शास्त्रों में जन्माष्टमी व्रत के विषय में कहा गया है कि इस व्रत को करने से करोड़ों एकादशी के व्रत का फल मिल जाता है। इस व्रत को करने से व्रती को भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति होती है।
    पूजा विधान- लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराकर नए वस्त्र आभूषण से अलंकृत कर सोलह उपचारों से पूजन करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस दिन भगवान को अन्न का भोग नहीं लगता। सिंघाड़े की पंजीरी, धनिया, अजवाइन,सोंठ, खांड व देसी घी के मिश्रण से तैयार लड्डुओं के भोग लगाने चाहिए तत्पश्चात उन्हें झूले में झूलाना चाहिए श्री कृष्ण नाम संकीर्तन ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना विशेष फलदाई माना जाता है।

ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य
डॉ शैलेश मोदनवाल
मछली शहर जौनपुर
उत्तर प्रदेश।

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