महिला अपनी मर्जी से किसी पुरुष के साथ रिलेशनशिप में रहती है, बाद में संबंध खराब होने पर रेप का मामला दर्ज नहीं करवा सकती
सर्वोच्च न्यायालय का सर्वोच्च अहम फैसला
नई दिल्ली (महानगर संवाददाता) विगत गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि कोई महिला किसी पुरुष के साथ स्वेच्छा से रिलेशनशिप में रहती है और बाद में उन दोनों के संबंधों में यदि तनाव या खटास आने पर रेप केस नहीं महिला फाइल कर सकती है। यह टिप्पणी जस्टिस हेमंत गुप्ता और विक्रम नाथ की बेंच ने की है।
बेंच ने मामले में आरोपी अंसार मोहम्मद को गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी है। आदेश में कहा गया है कि शिकायत करने वाली महिला याचिकाकर्ता के साथ अपनी स्वेच्छा से रहती थी इसलिए अब जबकि रिश्ता आगे नहीं बढ़ पा रहा है तो इस बुनियाद पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) के तहत एफ आई आर दर्ज नहीं करवाई जा सकती है
इससे पूर्व राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया था हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए जमानत दी है।
अंसार मोहम्मद ने पहले राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन वहां से उन्हें सीआरपीसी की धारा 438 के तहत उन्हें जमानत नहीं दी गई। विगत 19 मई को राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने स्वीकार कर लिया है कि उसने शादी का वादा करके महिला के साथ संबंध बनाए थे और उनसे एक बच्ची भी पैदा हुई है। इस अपराध को देखते हुए हमें नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
वहीं पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 4 साल तक वे दोनों रिलेशनशिप में रहे महिला ने जब अंसार के साथ रहना शुरू किया था तब वह 21 साल की थी इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल अग्रिम जमानत को ले कर दिया गया है इसके अलावा जांच आगे बढ़ेगी और इस टिप्पणी का उससे कोई लेना देना नहीं माना जाएगा। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील अर्जुन सिंह भाटी पेश हुए थे। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से उन पुरुष लोगों को इससे राहत मिलेगी जो लंबे समय तक महिला रिलेशनशिप में रहने के बावजूद संबंधों में तनाव आने के बाद रेप के मामले दर्ज करवाती थी।