द्रौपदी मुर्मू का अगला राष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय
काफी काटो भरा सफर रहा द्रौपदी मुर्मू का जीवन

नई दिल्ली, (महानगर संवाददाता)उड़ीसा के मयूरभंज की रहने वाली 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू अब दिल्ली के आलीशान राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए लगभग तैयार दिखाई दे रहे है क्योंकि उनका चुना जाना सिर्फ एक औपचारिकता रह गई है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 19 58 में उड़ीसा के मयूरभंज में हुआ था। द्रौपदी मुर्मू आजाद भारत की पहली राष्ट्रपति महिला होंगी इसके पहले आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुए हैं। अब दो बड़े संवैधानिक पदों पर आसीन स्वतंत्र भारत के बाद पैदा हुए लोगों का नाम जुड़ गया है। द्रौपदी मुर्मू अपने राजनीतिक जीवन में तो कई सफलताएं हासिल की हैं लेकिन व्यक्तिगत जीवन में उनका सफर काफी कांटो भरा रहा है। सन 2009 में वे डिप्रेशन में आ गई थी जब उनका 25 साल का लड़के की मौत हो गई, उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना और ब्रह्मकुमारी संस्था के साथ जुड़ गई और धीरे-धीरे वे डिप्रेशन से बाहर आ रही थी कि अचानक 4 साल बाद सन 20 13 में उनके दूसरे बेटे की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। मात्र 4 साल के समय में उन्होंने अपना दोनों बेटे को खो दिया, वही 2013 में ही एक महीने के पश्चात उनकी मां और कुछ दिन बाद उनके भाई का भी देहांत हो गया। फिर भी इस दुखद घड़ी से बाहर निकलने की वे कोशिश कर रही थी कि एक साल बाद सन 2014 में उनके पति का देहांत हो गया। इन सब मुसीबतों का सामना करते हुए आध्यात्म का सहारा लिया और योग के द्वारा अपने जीवन को सामान्य करते हुए वे डिप्रेशन से बाहर आई। वह सन 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी। द्रोपदी मुर्मू काफी विनम्र स्वभाव की मानी जाती है उन्हें जब राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया तो उन्होंने अपने गांव में जाकर मंदिर में दर्शन किया और एक सामान्य महिला की तरह मंदिर में झाड़ू लगाया, पूजा की और पुजारी तथा सभी लोगों से एक सामान्य महिला की तरह ही उन्होंने लोगों से बात की। द्रोपदी मुर्मू 1989 में भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन की। उन्होंने उड़ीसा सरकार के सिंचाई विभाग में एक क्लर्क की नौकरी से अपनी शुरुआत की इसके बाद उन्होंने अपने गृह जनपद के एक कालेज में शिक्षक के रूप में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर छात्रों को पढ़ाने लगी। द्रौपदी मुर्मू 1997 में अपने राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया और वह पहली बार मयूरभंज के पार्षद चुनी गई। इसके बाद उड़ीसा मैं दो बार विधायक बनी और सन 2000-2004 में राज्य मंत्री रही और 2015 में वे झारखंड के राजपाल बनी,तब उस समय वे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने राष्ट्रपति भवन में आई थी लेकिन वह उस समय सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह भी इसी तरीके से देश का राष्ट्रपति बनेगी। द्रौपदी मुर्मू जहां वे बहुत विनम्र स्वभाव की हैं वहीं पर वह एक सशक्त राजनेता की भूमिका में भी देखी गई हैं। वह पहले एक क्लर्क फिर शिक्षिका उसके बाद विधायक फिर मंत्री और राज्यपाल अब राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्य करेंगी। द्रौपदी मुर्मू राज्यपाल रहते हुए कई कड़े फैसले लेने के लिए वे चर्चित मानी जाती है। और आदिवासी समाज के लिए वे जीवन पर्यंत संघर्ष करते हुए दिखाई दी है। देश के प्रजातंत्र का इससे अच्छा और क्या मिसाल पूरी दुनिया में होगा कि एक साधारण सी महिला आज भारत जैसे विशाल देश का राष्ट्रपति बनने जा रही है ।और इसमें देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समझदारी और उनके चयन की पूरे देश में और दुनिया में तारीफ की जा रही। राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा भी मैदान में हैं लेकिन जिस प्रकार से एनडीए के पास प्रचंड बहुमत है उससे यह माना जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू का सिर्फ चुना जाना मात्र एक औपचारिकता रह गया है और वे राष्ट्रपति राम कोविंद के स्थान पर अगला राष्ट्रपति बन जाएंगी।