आस्था
फलदायी है अक्षय नवमी
- मछलीशहर। कार्तिक शुक्ला नवमी अक्षय नवमी के नाम से विख्यात है। इसकी गणना युगादि तिथियों में है और ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी दिन से हुआ था। कार्तिक मास के देवता भगवान विष्णु है इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भगवान नाम जप एवं कीर्तन इसके साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना कराना विशेष लाभदाई है। इस वर्ष इस पावन पर्व का सुखद संयोग 13 नवंबर शनिवार को प्राप्त होगा। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डॉ शैलेश मोदनवाल बताते है कि भविष्य पुराण के अनुसार जो मनुष्य अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे जिन देवताओं की श्रद्धा पूर्वक अर्चन करेगा वह देवता उपासक के वश में हो जाते है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे मालती और तुलसी को स्थापित कर शालिग्राम की पूजा से पितरों को विशेष तृप्ति प्राप्त होती है। इस दिन जो भी मनुष्य आंवले के वृक्ष के नीचे जो भी श्राद्ध करता है, वह हजारों गया श्राद्ध करने का फल प्राप्त करता है। जो भी मनुष्य वहां पर यज्ञ करता है वह हजारों यज्ञ करने के फल का भागी होता है। शास्त्रों के अनुसार आंवला पूज्यनीय है क्योंकि आंवले के मूल में विष्णु, उसके ऊपर ब्रह्मा, स्कंध में परमेश्वर भगवान रुद्र, शाखाओं में मुनि, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुधर तथा फलों में समस्त प्रजापति वास करते है।