आस्था

मोक्षदायी है हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत

मछलीशहर। कार्तिक शुक्ला एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं इसीलिए इस दिन से सारे मांगलिक कार्यों का शुभारंभ भी विभिन्न मुहूर्तों के रूप में प्राप्त होते है। इसलिए इस एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है इसे प्रबोधिनी एकादशी कहते है। इस वर्ष इस व्रत पर्व का सुखद संयोग 15 नवम्बर सोमवार को है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डॉ शैलेश मोदनवाल बताते है कि नारद पुराण के उत्तर भाग में एकादशी व्रत महत्व के विषय में कहा गया है कि एकादशी व्रत करने वाला पुरुष मातृकुल पितृकुल तथा पत्नीकुल की दस दस पीढ़ियों का उद्धार कर देता है। एकादशी व्रत स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली है। एकादशी व्रत को करने वाला सब पापों से मुक्त हो भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है।
पूजन विधान –
इस दिन घर आंगन को चौक पूरकर सजाया जाता है। भगवान के श्री चरणों को अंकित किया जाता है, उनकी विभिन्न प्रकार के पत्रों, पुष्पो, धूप दीप आदि समर्पित कर पूजन किया जाता है तथा व्रत की कथा को सुना जाता है। इस दिन गन्ने का पूजन कर भगवान को अर्पित किया जाता है, उसके पश्चात गन्ने को चूस कर उसके रस को भी ग्रहण किया जाता है। ऐसी परंपराएं सदियों से चली आ रही है। बहुत से लोग आज के दिन श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते है।
विष्णु पूजन में तुलसी है विशेष-
कार्तिक मास में तुलसी वृक्ष का पूजन तो विशेष फल को देती है जो मनुष्य इस पावन मास में तुलसी के पत्तों तथा मंजरी से भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे दस हजार गाय दान करने तथा सैकड़ों वाजपेय यज्ञ करने के समान फल की प्राप्ति होती है। जो भगवान को तुलसी काष्ठ की धूप देता वह उसके फलस्वरूप सौ यज्ञ अनुष्ठान तथा सौ गोदान का पुण्य फल प्राप्त करता है।

Back to top button
Close