आस्था

लक्ष्मी, कुबेर व धनवंतरि देव की पूजा है फलदायी

मछलीशहर। भगवान धन्वंतरि देव के प्राकट्य दिवस का महान पर्व धनतेरस का सुखद संयोग 2 नवंबर दिन मंगलवार को है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डॉ शैलेश मोदनवाल के अनुसार इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र दिन में 9-56 बजे तक रहेगा तदुपरांत हस्त नक्षत्र लग जाएगी। दिन में 8-35 बजे तक द्वादशी तिथि इसके पश्चात त्रयोदशी लग जायेगी। धनतेरस का पर्व प्रदोष कालीन त्रयोदशी तिथि में ही संपन्न होता है। इस दिन आरोग्यता की प्राप्ति के निमित्त भगवान धन्वंतरि देव की पूजा गंध पुष्प धूप दीप आदि के द्वारा प्रदोष काल में की जाती है। इसी दिन अकाल मृत्यु के भय से निवारण के लिए घर के बाहर वैदिक देवता यम के निमित्त दीप प्रज्वलित कर उनकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन से ही घर में धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी का वास हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार धनतेरस की शाम से दीपावली की रात्रि तक अपने पूजा गृह में अखंड दीप जलाने से निर्धन व्यक्ति भी धनवान हो जाता है। इसी दिन धनाध्यक्ष नौ निधियों के अधिपति कुबेर की उपासना पांच घड़ो को भरकर लोग उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। आज के दिन चांदी एवं सोने का क्रय विशेष शुभ होता है। आज के दिन नूतन बर्तनों को खरीद कर पूजन करने की परंपरा भी है।
शुभ मुहूर्त- लाभ योग- दिन में 10:32 बजे से 11:54 बजे तक, अमृत योग- 11:54 बजे से 1:15 बजे तक, शुभ योग- 2:37 बजे से 3:59 बजे तक, लाभ योग- रात्रि काल 6:59 बजे से 8:21 बजे तक, शुभ योग रात्रि 10:15 बजे से 11:37 बजे तक है।

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