आस्था

शुभ मुहूर्त में शुभ कार्य करने से सुखमय होता है जीवन

 

मुहूर्त, समय ज्ञात करने का एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम कोई भी शुभ कार्य करने के लिए योजना बनाकर उस समय विशेष पर कार्य संपन्न करते हैं। शुभ मुहूर्त को शुभ घड़ी भी कहा जाता है। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया कोई भी मांगलिक कार्य बिना किसी विशेष परेशानी के संपन्न हो जाता है और सदैव शुभ फलदायी होता है। सनातन धर्म के अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पहले शुभ योग अवश्य देखना चाहिए।

ऐसे बनता है शुभ योग

शुभ योग निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नवग्रहों की स्थिति आदि का अध्ययन किया जाता है। अगर ये शुभ योग बना रहे होते हैं तो कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। वहीं मलमास, अधिक मास, शुक्र और गुरु के अस्त होने की स्थिति, अशुभ योग, भद्रा, राहुकाल आदि को भी देखा जाता है। यदि इनमें से किसी दिन कोई स्थिति हो तो उस दिन मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा,पुष्य, अनुराधा या श्रवण नक्षत्र हो तो उस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग बनता है जो समस्त मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसी प्रकार नया मकान या वाहन आदि खरीदने के लिए भी शुभ वार और तिथि का ध्यान रखना चाहिए।
मंगलवार को जया तिथि, बुधवार को भद्रा, बृहस्पतिवार को पूर्णा, शुक्रवार को नंदा और शनिवार को रिक्ता तिथियां होना मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ संयोग होता है।

गृह प्रवेश के लिए शुभ मास एवं तिथि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ मास, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार तथा शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि को गृह प्रवेश के लिए शुभ माना जाता है। इसके कुंभ, मकर और कर्क लग्न को छोड़ कर अन्य सभी लग्नों में गृह प्रवेश करने से सुख व समृद्धि प्राप्त होती है।कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि के बाद गृह प्रवेश निषिद्ध माना गया है।

इन दिवसों में होता है अशुभ योग

रविवार और मंगलवार नंदा तिथि, सोमवार और शुक्रवार को भद्रा तिथि, बुधवार को जया तिथि, बृहस्पतिवार को रिश्ता तिथि और शनिवार को पूर्णा तिथि का होना अशुभ योग माना गया है। इसलिए इन दिनों कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
किसी भी शुभ कार्य को करते समय राहु काल का भी ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि राहु काल में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। सोमवार को सुबह 7:30-9:00 तक, मंगलवार को 15:00-16:30 तक, बुधवार को 12:00-13:30 तक, बृहस्पतिवार को 13:30-15:00 तक, शुक्रवार को 10:30-12:00 तक, शनिवार को 09:00-10:30 तक और रविवार को 16:30-18:00 तक राहु काल माना गया है। इस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।

दान के लिए भी है शुभ दिन व समय

ज्योतिष के अनुसार किसी ग्रह विशेष से संबंधित वस्तुओं का दान शुभ दिन और समय पर करने से उसका फल मिलता है। सूर्य का दान रविवार को दोपहर में, चंद्र का दान सोमवार को शाम के समय, मंगल का दान मंगलवार को दोपहर में, बुध का दान बुधवार को दोपहर में, बृहस्पति का दान बृहस्पतिवार को सुबह के समय, शुक्र का दान शुक्रवार को शाम के समय, शनि का दान शनिवार को दोपहर में, राहु का दान शुक्रवार को शाम के समय और केतु का दान मंगलवार को दोपहर के समय ही करना चाहिए।

विवाह के लिए भी हैं शुभ योग

विवाह के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य ग्रहों का शुभ होना आवश्यक है। वहीं बृहस्पति और सूर्य का योग रवि-गुरु योग कहलाता है जो विवाह के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। विवाह के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ और अगहन मास को शुभ माना जाता है इसी प्रकार विवाह हेतु शुभ लग्न व मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु और मीन लग्न में से किसी एक लग्न का होना भी आवश्यक है।
विवाह की शुभता के लिए अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवण, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा भाद्रपद और उत्तरा आषाढ़ नक्षत्रों में से कोई भी एक नक्षत्र होना चाहिए। अगर विवाह के समय इनमें से रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र मौजूद हो तो विवाह अत्यंत शुभ माना जाता है।

ग्रह दशा ठीक न हो तो न करें शुभ कार्य

ज्योतिषीय मान्यता है कि शुभ मुहूर्त के लिए ग्रह दशाओं का ठीक होना परम आवश्यक है। अगर ग्रह दशा ठीक न हो तो भूलकर भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। विवाह के मामले में विशेष रूप से शुक्र-तारा की स्थिति को देखा जाता है। शुक्र-तारा के अस्तित्व होने पर विवाह करना निषिद्ध माना जाता। देवशयनी एकादशी से लेकर देवठान एकादशी के बीच के दिन भी विवाह के साथ-साथ सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माने गए हैं। इसलिए इन दिनों में भी विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। यदि निषिद्ध अवधि के दौरान कोई मांगलिक कार्य करना विवशता है तो किसी विद्वान मनीषी के परामर्श के अनुसार यज्ञ, हवन, पूजा-पाठ, मंत्र जाप, दान आदि करवा कर ग्रहों की अशुभ स्थिति को दूर करना चाहिए। अच्छा तो यही होगा कि ग्रह दशा और नक्षत्रों की स्थिति को दिखवा कर एवं शुभ समय निकलवा कर ही कोई भी मांगलिक कार्य करना चाहिए। — प्रमोद कुमार अग्रवाल (ज्योतिष विद्या विशारद, ज्योतिष धनवंतरि एवं वास्तु आचार्य), दयालबाग, आगरा

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