खेलमहाराष्ट्र

मुंबई के फल विक्रेता की बेटी ऐश्वर्या भारत को रजत पदक दिलाकर मुंबई का मान तो बढ़ाया परंतु अभी तक शिंदे सरकार से कोई प्रतिसाद न मिलने से पिता का छलका दर्द

गुलदस्तो से भर गया घर,नही मिली आर्थिक सहायता,उत्तर भारतीय नेता फोटो खींचाकर चमका रहे हैं अपनी राजनीति

मुंबई (महानगर समाचार) जब कोई खिलाड़ी ओलंपिक या एशियन गेम्स में पदक हासिल करता है तो वह सिर्फ अपने परिवार का ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन करता है। ऐसे खिलाड़ियों को राज्य सरकार आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी देने की अक्सर घोषणा करती है। यही उम्मीद दहिसर (पूर्व) धारखाडी के मिश्रा कंपाउंड जैसे स्लम बस्ती में फल बेचने वाले कैलाश मिश्रा को भी थी, क्योंकि उन्होंने अपने बेटी को फल बेचकर उसे पंख दी कि वो अपने और देश के सपनो को साकार देने के लिए उड़ान भर सके।
बेटी ऐश्वर्या मिश्रा एशियन गेम्स में 4×400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक हासिल किया।परिवार बेटी का चीन से लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था और परिवार उम्मीद लगाया था कि राज्य सरकार उसकी बेटी का सम्मान, सत्कार, आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने की घोषणा करेगी। परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ, घर गुलदस्तों से भर तो जरूर गया लेकिन आर्थिक मदद अभी तक नहीं मिली है। जहां शिंदे सरकार से अभी तक इस बेटी को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली वहीं पर मुंबई में 40 लाख उत्तर भारतीय लोगों का नेता बनने का दंभ भरने वाले उत्तर भारतीय नेताओं की तरफ से भी कोई आर्थिक मदद नहीं मिली सिर्फ उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह ने दो लाख रुपए की आर्थिक मदद करने का एलान जरूर किया है। बेटी ऐश्वर्या का घर इन दिनों गुलदस्तों से जरूर भर गया है क्योंकि नेता लोग घर आकर गुलदस्ता देकर फोटो खिंचवाकर सोसल मीडिया पर डालकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए दिखाई दे रहे है। बेटी ऐश्वर्या के पिता कैलाश मिश्रा का कहना है कि लोग दिनभर अलग-अलग ग्रुप में आकर स्वागत कर रहे है हम सभी के प्रति आभारी है। बेटी के पिता मिश्रा का कहना है कि हमें उम्मीद थी की बेटी को मुंबई आने पर राज्य की शिंदे सरकार उनकी बेटी को आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी देने के लिए आगे आएगी परंतु अभी तक ऐसा कुछ नही हुआ।अब देखना है शिंदे सरकार कुछ करती है या सिर्फ नारे लिखवाती है कि मुलगी शिकली प्रगति झाली।

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