महाराष्ट्र

पुलिस से सभी को है अपेक्षा, तो फिर उनकी सरकार द्वारा क्यों होती है उपेक्षा?

*पुलिस कर्मियों की काम करने की समय सीमा क्यों तय नहीं होती*

मुंबई (अशोक निगम)पूरे देश सहित महाराष्ट्र में भी पुलिस अपने ड्यूटी करते समय चुस्त-दुरुस्त बाहर से दिखाई देती है, परंतु इन चुस्त दुरुस्त दिखने वाले पुलिस कर्मियों के अंदर की मानवीय संवेदना कितनी चुस्त-दुरुस्त है, इसकी जांच पड़ताल या उनके प्रति आज तक किसी ने ध्यान ही नहीं दिया या यूं कहें कि उनके प्रति किसी ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया ही नहीं। पुलिस से सभी को जनता, नेता, अभिनेता, समाज सेवक, सबको अपेक्षा रहती है कि वह समाज में लॉ एंड आर्डर, शांति व्यवस्था बनाने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाती रहे, और उनके दुख मुसीबत के समय आवाहन करने पर तुरंत उनकी मदद के लिए हाजिर हो,पुलिस हाजिर भी रहती है। पुलिस को हर समय पूरे शहर में कभी यहां तो कभी वहां बंदोबस्त का टेंशन रहता ही रहता है, इसी वजह से पुलिसकर्मी अक्सर जबरदस्त मेंटल स्ट्रेस में रहते हैं और वह भी खासतौर से सिपाही, जिसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई पुलिस में औसतन 40% पुलिसकर्मी किसी न किसी तरह की दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इसी मेंटल स्ट्रेस की वजह से किसी को ब्लड शुगर तो किसी को अन्य तरह की बीमारियां उनमें दिखाई देती है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो पुलिस कर्मियों की सबसे बड़ी समस्या है कि वह लोग ठीक से सो नहीं पाते है, और जितनी नींद उन्हें लेनी चाहिए उतनी नींद वे ले नहीं पाते, और जैसे ही वह जागते हैं तो फिर ड्यूटी पर भागते हैं। उनके पास परिवार के लिए समय ही नहीं रहता, जब उनके पास परिवार के लिए समय ही नहीं रहता तो वे अपने बच्चों और परिवार की अच्छे ढंग से परवरिश नहीं कर पाते हैं। जब लोग पूरे वर्ष भर अपने त्यौहार, पर्व, होली -दीपावली, ईद- बकरीद अपने परिवार के साथ हंसी खुशी अपने घर पर मनाते हैं तो उस समय पुलिसकर्मी लॉ एंड आर्डर मेंटेन करने के लिए, शांति व्यवस्था कायम रहे इसके लिए सड़कों पर तैनात दिखाई देते हैं। पुलिस कर्मियों का कहना है कि ड्यूटी हमारा कर्तव्य है वह तो हम करते हैं परंतु परिवार में समय न देने के कारण मेंटल स्ट्रेस बराबर रहता है। पुलिस कर्मचारी रेस्ट करने के लिए परिवार के साथ बाहर जाने के लिए जब छुट्टी लेना भी चाहते हैं और उसके लिए आवेदन करते हैं तो पिछली रात से पहले तक उन्हें पता ही नहीं रहता कि हमारी वह छुट्टी मंजूर भी हुई है या नहीं। क्योंकि सीनियर इंस्पेक्टर पुलिस स्टेशन में काम के लोड के हिसाब से छुट्टियां मंजूर या ना मंजूर करते हैं। इन्हीं सब समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए दत्ता पडशीलकर जब मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे तो उस समय पुलिस सिपाही रविंद्र पाटील ने पुलिस कर्मियों के लिए 8 घंटे की ड्यूटी का प्रोजेक्ट बना कर दत्ता पडशीलकर को सौंपा था, जिसे दत्ता पडशीलकर ने मंजूर करते हुए पूरे मुंबई में 8 घंटे की ड्यूटी निर्धारित कर दी थी। परंतु उसके बाद कोरोना महामारी शुरू हो गया और फिर 8 घंटे की ड्यूटी पूर्व की तरह 12 घंटे की ड्यूटी में तब्दील हो गई। इसके बाद जब संजय पांडे मुंबई के पुलिस कमिश्नर बने तो उन्होंने भी 8 घंटे की ड्यूटी को फिर से लागू करने का फैसला लिया था पर मुंबई पुलिस के ज्यादातर पुलिस स्टेशनों में अभी भी 12 घंटे की ड्यूटी चल रही है। पुलिस कर्मियों की एक समस्या यह भी है कि वे जिन पुलिस स्टेशनों में तैनात है वहां से अपने घर और घर से पुलिस स्टेशन आने जाने में 2 से 3 घंटे का समय लग जाता है। इसलिए पुलिस कर्मियों को जो 7 घंटे की जरूरी स्वस्थ नींद लेनी चाहिए वह कभी भी पूरी ही नहीं हो पाती।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क्राइम ब्रांच में थोड़ी राहत है। वहां पर 8 से 10 घंटे से ज्यादा की ड्यूटी नहीं होती है। सीनियर इंस्पेक्टर सुबह करीब 11 बजे तक आते हैं और शाम को 7 या ज्यादा से ज्यादा 8 बजे तक घर चले जाते हैं। उनके साथ ही ज्यादातर स्टाफ भी चला जाता है। सिर्फ दो तीन सिपाही ही नाइट ड्यूटी पर रहते हैं। क्राइम ब्रांच का मूल काम क्राइम का इन्वेस्टिगेशन का है जबकि पुलिस स्टेशन में इन्वेस्टिगेशन के साथ ही साथ लॉ एंड ऑर्डर भी देखने की जिम्मेदारी रहती है।
*मुंबई पुलिस में पुलिस कर्मियों की कमी*:-सरकार द्वारा मुंबई पुलिस की मंजूर की गई संख्या 46212 है जबकि फरवरी 2022 में उस समय के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बताया था कि उस समय मुंबई पुलिस के पास 37465 पुलिसकर्मी थे। मतलब कुल 8747 पुलिस कर्मियों की कमी थी। इन आठ महीनों के दौरान कुछ पुलिसकर्मी रिटायर भी हुए होंगे लेकिन उनकी जगह अभी भर्तियां नहीं हुई है। जिसके कारण कम पुलिस होने की वजह से काम कर रहे पुलिसकर्मियों पर ज्यादा काम का दबाव पड़ रहा है। इस वजह से भी वह ज्यादा मेंटल स्ट्रेस में रहते हैं।
*सरकार पुलिसकर्मियों की समस्याओं पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं:-*
सरकार पुलिस विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के कार्यों को देखते हुए उनके प्रति मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए उनके काम की दशाओं को 8 घंटे निर्धारित करें। पुलिसकर्मियों द्वारा छुट्टी के आवेदन पर विचार कर उन्हें छुट्टी (विशेष परिस्थिति को छोड़कर)दी जाए। जहां पर जिन पुलिस स्टेशनों पर पुलिसकर्मी तैनात है उन्हीं के आसपास उनके पुलिस क्वार्टर बनाई जाए। रिक्त पड़े पदों पर सरकार अविलंब उनकी भर्तियां करें ताकि पुलिसकर्मियों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। पुलिसकर्मियों में मेंटल स्ट्रेस ना आए इसके लिए समय-समय पर स्वास्थ्य चेकअप कर उन्हें काउंसलिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए जैसे उपाय करके सरकार पुलिस विभाग को और मजबूत कर सकती है जिसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिलेगा।

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