आस्था

अशुभ शनि समस्याओं का अंबार खड़ा कर देता है

शनि काल पुरुष की कुंडली में दशम और एकादश भाव का स्वामी होता है दशम भाव कर्म का एकादश भाव लाभ का स्थान है इसलिए शनि से प्रभावित व्यक्ति जीवन में दुख और सुख भोगता है। अशुभ शनि जीवन में समस्याओं का अंबार खड़ा कर देता है इसलिए शनि शांति का उपाय अवश्य करना चाहिए। अशुभ शनि से प्रभावित व्यक्ति को पांव में मोच, उदर विकार, रक्ताल्पता, वायु विकार, खुजली, रक्त विकार, शीत विकार, ह्रदय रोग, गंजापन, स्नायु विकार, लकवा, लंगड़ापन आदि रोग होते है। कुंडली में अशुभ शनि से दमा, दंत रोग, राज्यक्षमा, जोड़ों में दर्द, मृत्यु, दुर्घटना, कलह, दरिद्रता, जेल, अस्थिरता, वियोग, दुर्बलता, पदच्युत, विपत्ति, चोरी एवं अभाव देता है। कुंडली में बैठा शनि अपनी स्थान से तीसरे, सातवें और दसवी घर को पूर्ण दृष्टि से देखता है। शनि की दृष्टि यदि अशुभ है तो जीवन में कष्टों का अंबार खड़ा कर देता है। अशुभ शनि के निवारण के लिए शाकाहारी बने, मदिरा से बचे। पीपल में शनिवार सायं सरसो तेल का दीपक जलाएं। सरसो तेल का छाया दान, लोहे का पात्र, काली उड़द, काले कंबल या वस्त्र दक्षिणा सहित भिखारी को शनिवार के दिन दान करे। नाव के कील की मुनरी मध्यमा अंगुली में धारण करे। शनि स्तोत्र का पाठ करे। इसके अलावा हनुमान जी एवं भैरव जी की अर्चना से शनि पीड़ा का निवारण होता है।

डॉ शैलेश मोदनवाल
ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य
मछली शहर, जौनपुर उ प्र ।

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