आस्था

हनुमान जी की अर्चना से होता है बाधाओं का अंत

 

मनसा, वाचा,कर्मणा हनुमान जी की आराधना करने पर जीवन में आयी घोर कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। मंगल का प्रकोप शांत होता है, अमंगल दूर हो जाता है तथा शनि ग्रह की पीड़ा का भी निवारण हो जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ शैलेश मोदनवाल बताते है कि हनुमान जी की पूजा में तुलसीपत्र, लाल फूल की माला, लाल चंदन, सुगंधित इत्र, धूप दीप आदि लड्डू व भीगे हुए चने का प्रसाद इसके साथ ही हनुमान जी को सिंदूर का लेप बहुत प्रिय है। हनुमान जी दक्षिण दिशा के अधिष्ठाता कहे गए है। दक्षिण दिशा में पितरों का भी वास है इसलिए हनुमान जी की अर्चना से पितृ दोष के निवारण के साथ ही वास्तु दोष, संतानबाधा, आंतरिक कलह, ऊपरी बाधा, भूत प्रेत तथा धन संबंधी समस्या भी दूर हो जाती है। डॉ मोदनवाल के अनुसार हनुमान जी की उपासना में सुंदरकांड का पाठ विशेष फलदायी है। सुंदरकांड में तीन श्लोक, छह छंद, साठ दोहे तथा तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां है। कुल साठ दोहों में से तीस दोहों में सुंदरकांड के नायक हनुमान जी का वर्णन है तथा तीस दोहों में प्रभु श्रीराम का वर्णन है। चौबीस चौपाइयों में सुंदर शब्द की आवृत्ति हुई है इस प्रकार आस्था और श्रद्धा के रूप में सुंदरकांड का विशेष महत्व है जिसे संपूर्ण विश्व मानता है। सुंदरकांड के पाठ को करने के पूर्व किष्किंधाकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।

ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य
डॉ शैलेश मोदनवाल
मछली शहर, जौनपुर उ प्र।

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