हंगामा क्यों बरपा है मनपा आयुक्त दिलीप ढोले के कार्यशैली पर?
धमकी देकर,कानूनी नोटिस भेजकर मीडिया को दबाने की कोशिश क्या कामयाब होगी?
भाईंदर (महानगर संवाददाता) महाराष्ट्र के मुंबई से सटे मीरा भाईंदर महानगर पालिका में जब से दिलीप ढोले मनपा आयुक्त के रूप में पदभार संभाला है तभी से वे विवादों में घिरे चले आ रहे हैं। उनके ऊपर उनके पद की योग्यता पर भी सवालिया निशान कई बार लग चुके हैं। अब इन दिनों मनपा आयुक्त और मीडिया वालों के बीच में एक तरह का शीत युद्ध चल रहा है, और उसका कारण है कि मनपा आयुक्त के कार्यशैली पर जब कोई अपने समाचार पत्रों में लिखता है या अपने चैनलों द्वारा खबर प्रसारित करता है तो उसे संज्ञान में लेकर उस कमी को या उस भ्रष्टाचार को सुधारने की जगह मनपा आयुक्त पत्रकारों को धमकी देने, कानूनी नोटिस देने तथा अन्य तरीके अपनाकर मीडिया की आवाज को दबाने की असफल प्रयास कर रहे हैं। सबसे पहले दैनिक हिंदी दोपहर के सामना के पत्रकार विनोद मिश्रा द्वारा खबर प्रकाशित करने के बाद उन्हें स्वयं मनपा आयुक्त ने फोन करके धमकी दी ऐसा बताया जा रहा है। उसके बाद थाने की आवाज हिंदी सप्ताहिक के समाचार पत्र के जतिन दधीच को समाचार प्रकाशित करने के बदले में कानूनी नोटिस भेजा गया। तभी से पत्रकारों और मनपा आयुक्त के बीच में तनाव का माहौल शुरू हुआ। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पिछले कुछ महीनों में मनपा को कुछ चंद अधिकारियों ने जैसे एक तरह से हाईजैक कर लिया है (और ये सभी अधिकारी बाहर से आए है)उन्हीं के अधिकार से सारे निर्णय इस समय लिए जा रहे हैं बाकी जो पुराने यहां के अधिकारी हैं वह इस समय अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं, ऐसा मनपा के अंदर खाने में इस समय चर्चा सुनाई देती है। यह कहां तक सत्य है यह तो मनपा के अधिकारी ही सही तरीके से बता सकते हैं। मीरा भाईंदर महानगर पालिका में हमेशा टेंडर पॉलिसी पर राजनीतिज्ञों द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी दिखाई दे रहा है। यहां पर खुलेआम रिश्वत लेते हुए अधिकारी पकड़े जाने के बावजूद भी बिना न्यायालय से बरी हुए उन्हें उसी पदों पर बैठाकर कानून को ठेंगा दिखाया जा रहा है। रिश्वत लेते हुए पकड़े गए अधिकारी जब फिर उसी पद पर आसीन हो जाए तो सोचो फिर भ्रष्टाचार किस कदर मनपा पर हावी हो जाता है इसका जीता जागता उदाहरण इन दिनों मीरा भयंदर मनपा क्षेत्र में देखा जा रहा है। अवैध बांधकाम जोरो पर है जिसकी शिकायत वर्तमान विधायक प्रताप सरनाईक ने अपने पत्रों द्वारा मनपा आयुक्त को इसकी जानकारी दी है। बावजूद इसके धड़ल्ले से इस समय क्षेत्र में अवैध बांधकाम जोरों से चल रहा है। मनपा आयुक्त दिलीप ढोले जब इसी मनपा में अतिरिक्त आयुक्त थे तब उनके पावर रिक्त दिखाई दे रहे थे, पर जैसे ही अतिरिक्त आयुक्त से आयुक्त बने उसी समय से उनका कार्यशैली की चर्चा होने लगी, मनपा आयुक्त के कार्यशैली के खिलाफ भूतपूर्व विधायक नरेंद्र मेहता, वर्तमान मीरा भयंदर भाजपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट रवि व्यास सहित कई लोगों ने सवाल ही नहीं खड़ा किया बल्कि मेहता ने आंदोलन भी कर चुके है।अब आज पूर्व में पत्रकार और वर्तमान में भाजपा के मीडिया प्रभारी भरत मिश्रा ने मनपा आयुक्त के भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलेआम आरोप लगाते हुए एक हफ्ते के अंदर उनके भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा खोलने का ऐलान किया है। अब देखना यह है कि भरत मिश्रा एक हफ्ते के अंदर मनपा आयुक्त दिलीप ढोले के विरुद्ध कुछ भ्रष्टाचार के ठोस सबूत लाते हैं या उसके पहले ही उन्हें भी कानूनी नोटिस थमा दिया जाएगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। परंतु इस समय मनपा में जो अजब गजब कारनामे हो रहे हैं उसकी एक छोटा सा उदाहरण मैं आपको देना चाहता हूं हमने मनपा आयुक्त दिलीप ढोले
को मनपा में रिश्वत लेते हुए पकड़े गए अधिकारियों को पुनः उनके पद पर रखे जाने के विरुद्ध शिकायत की थी और तमाम उन कानूनों का हवाला सलग्न किया था जिसके तहत वह उस पद पर कार्य नहीं कर सकते है।परंतु हमारे शिकायत पर संज्ञान लेने की जगह शिकायत पत्र को इस समय के अतिक्रमण उपायुक्त मारुति गायकवाड के पास भेज दिया गया, मारती गायकवाड उस शिकायत को सुनील यादव के पास भेज दिया(जो स्वयं रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के आरोपी हैं) और सुनील यादव ने शिकायत पत्र पर जो जवाब दिया अपने पत्र के माध्यम से वह बड़ा हास्यास्पद और शर्मनाक भी है। पहले तो यह बता दे कि सुनील यादव स्वयं रिश्वत लेते हुए मनपा में पकड़े गए हैं और बिना न्यायालय से बरी हुई वे फिर उसी पद पर बैठ गए हैं या बैठा दिया गया है। और वही लिख रहे हैं कि मनपा में क्योंकि स्टाफ की कमी है इसलिए ऐसे रिश्वत लेते हुए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। सुनील यादव जो स्वयं रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने का आरोपी है उसी द्वारा मनपा आयुक्त हमे जवाब दिलवा देते हैं। इससे बड़ा मीरा भाईंदर में भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है। इसी तरह मनपा के जिस भी विभाग की तरफ आप ध्यान अपना आकर्षित करेंगे उधर ही आपको ऐसे अनियमितता दिखाई देंगे। अब सवाल यह है कि जब पूरा मनपा में ही ऐसे अधिकारी पदों पर बैठेंगे तो उनसे और उम्मीद किया भी नहीं जा सकता। अब सवाल यह है कि ऐसे अधिकारियों पर लगाम कौन लगाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।