बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला -शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को दशहरा रैली शिवाजी पार्क में करने को मिली इजाजत
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना को लगा बड़ा झटका

मुंबई (महानगर संवाददाता) मुंबई के शिवाजी पार्क में शिवसेना की ऐतिहासिक दशहरा रैली पिछले 50 वर्षों से होती चली आ रही है, परंतु इस बार बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे द्वारा भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के बाद शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की इजाजत के लिए शिंदे गुट के विधायक सदा सरवरकर की तरफ से अदालत में याचिका दायर की गई थी जिसमे शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजन करने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत ने उद्धव गुट के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएमसी की दलील में कोई तथ्य नहीं है। शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट आमने-सामने थे, दोनों की अर्जी को बीएमसी ने लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए ठुकरा दिया था। कल इस मुद्दे पर मुंबई हाई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें उद्धव, शिंदे और बीएमसी के वकीलों ने अपनी अपनी दलीलें दी। एक तरफ जहां ठाकरे गुट ने 50 साल अपनी पुरानी शिवसेना की ऐतिहासिक परंपरा का हवाला देते हुए रैली करने की इजाजत मांगी, वहीं दूसरी तरफ बीएमसी ने कहा कि कोई व्यक्ति या संगठन मैदान में रैली के लिए अपना अधिकार नहीं जता सकता है उन्हें हर साल आवेदन करना होगा साथ ही लॉ एंड आर्डर की समस्या को देखते हुए आवेदन को खारिज किया जा सकता है। बीएमसी ने इसी आधार पर किसी भी गुट को रैली करने की इजाजत नहीं दी थी। ठाकरे गुट के तरफ से वकील एसपी चिनॉय बहस करते हुए कहा कि शिवसेना 1966 से शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करती चली आई है सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान दशहरा रैली नहीं आयोजित हुई थी। अब कोरोना के बाद सभी त्यौहार मनाए जा रहे हैं ऐसे में इस वर्ष हमको दशहरा रैली का आयोजन करना है जिसके लिए हमने बीएमसी से अनुमति मांगी थी परंतु बीएमसी ने लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए हमारी अर्जी को खारिज कर दी थी।
वही एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सरवनकर के वकील जनक द्वारकादास ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मेरी बात को ठीक से समझा जाए जो लोग यह कह रहे हैं कि सदा सरवनकर की याचिका में कोई तथ्य नहीं है वह पूरी तरह से गलत है। सभी जानते हैं कि दशहरा रैली हर साल शिवसेना की तरफ से आयोजित की जाती है जहां सभी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया जाता है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क न मिला हो। मेरा सवाल यह है कि याचिकाकर्ता क्या असली शिवसेना है, शिवसेना किसकी है इसको लेकर अदालत में अभी तक सुनवाई चल रही है सरकार बदल गई है अब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं है। चुनाव आयोग में भी अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि शिवसेना किसकी है? एडवोकेट द्वारकादास ने कहां कि सदा सरवनकर की तरफ से दशहरा रैली के लिए अर्जी दी है क्योंकि आज वह सरकार में है उन्होंने अभी तक शिवसेना छोड़ी नहीं है हालांकि अनिल देसाई ने अपनी याचिका में कहा है कि सदा सरवरकर ने शिवसेना छोड़ दी है। और वही असली शिवसेना से हैं आखिर यह लोग कैसे तय कर सकते हैं कि कौन शिवसेना से है और कौन नहीं?
उद्धव ठाकरे गुट के वकील एसपी चिनाय ने कहा कि सन 2016 से पूर्व दशहरा रैली को लेकर सिर्फ ध्वनि प्रदूषण की शिकायत की जाती थी उसके बाद से वह भी शिकायत नहीं रही। एडवोकेट चिनॉय ने कहा कि सदा सरवनकर हमारी मांग का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि खुद अनुमति मांग रहे हैं। इनकी याचिका में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है फिलहाल यह मामला सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग में चल रहा है। उन्होंने कहा कि बात बिल्कुल स्पष्ट है कि शिवसेना एक है तो उसके दो दावेदार कैसे हो सकते हैं? सदा सरवनकर एक व्यक्ति हैं इस लिहाज से इनकी याचिका सही नहीं है। राजनीतिक समीकरण बदलने के चलते सदा सरवरकर जो फिलहाल एकनाथ शिंदे गुट में चले गए हैं उन्होंने अर्जी दायर की है वह एक व्यक्ति हैं कोई पूरी शिवसेना नहीं, उनको कैसे यह अधिकार बनता है कि वह शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के आयोजन के लिए अर्जी करें। मालूम हो कि इसके पूर्व शिवसेना की तरफ से हमेशा सदा सरवनकर शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए आवेदन करते थे लेकिन अब वह ठाकरे गुट की शिवसेना में नहीं है, ऐसे में उनका कोई अधिकार नहीं बनता। हमने 22 अगस्त को मैदान के लिए प्रार्थना पत्र दिया था जबकि सदा सरवनकर की ओर से 30 तारीख को अर्जी दी गई थी। वहीं पुलिस की माने तो इस तरह पुलिस मौजूदा हालात में लॉ एंड आर्डर की सिचुएशन का हवाला दे रही है, क्या पिछले 50 सालों से मुंबई शहर में पुलिस नहीं थी ।
मुंबई हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय दिया कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की अनुमति दी जाती है। न्यायालय ने पाया कि नगर परिषद ने याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर निर्णय लेने में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। शिवसेना को 2 से 6 अक्टूबर तक तैयारियों के लिए मैदान दिया जाएगा। न्यायालय ने पूरे समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का भी आदेश दिया और कहा कि यदि यह पाया गया कि याचिकाकर्ता ने किसी भी तरह से कानून और व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति पैदा करने के लिए जिम्मेदार है तो यह भविष्य में उनकी अनुमति को प्रभावित करेगा। बांबे हाईकोर्ट ने शिवसेना को इस आदेश के साथ बीएमसी वार्ड अधिकारी से संपर्क करने और 2016 के जीआर के अनुसार नए सिरे से अनुमति लेने के लिए कहा है।
उद्धव ठाकरे के शिवसेना को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की अनुमति मिलने से उनके शिवसैनिकों में जश्न का माहौल है। वही एकनाथ शिंदे गुट को परमिशन नहीं मिलने से एक बड़ा झटका माना जा रहा है।